Khaskhabar/लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ कल मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले इस मामले की शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच कराने के लिए दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था। पत्र में कथित रूप से घटना में शामिल मंत्रियों को दंडित करने की भी मांग की गई है।

अदालत को इस इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए
वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा के पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों की हत्या की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है।इस अदालत को इस इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। वकीलों ने दावा किया कि हाल के दौर में हिंसा देश में राजनीतिक संस्कृति बन गई है। वकीलों ने कहा कि उप्र के इस हिंसाग्रस्त जिले में कानून के शासन की रक्षा करने की आवश्यकता है।
घटना में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश
उन्होंने कहा कि उनके आवेदन को जनहित याचिका के रूप में माना जा सकता है, ताकि दोषियों को न्याय के दायरे में लाया जा सके। पत्र में इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के साथ ही शीर्ष अदालत की निगरानी में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच समिति गठित करने की भी मांग की गई है।
देश में हिंसा के चलन को रोका जा सके
वकीलों के पत्र में कहा गया कि यह घटना उप्र सरकार और संबंधित नौकरशाहों के साथ-साथ गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कानून तोड़ने वाली पुलिस मशीनरी के खिलाफ निर्देश देने की मांग करती है, ताकि देश में हिंसा के चलन को रोका जा सके।
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पत्रकार को बुरी तरह पीटकर मौत के घाट उतारा गया
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविवार को हुई हिंसा में करीब दस लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें चार किसानों की मौत वाहन से कुचलने से हुई जबकि तीन भाजपा कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार को बुरी तरह पीटकर मौत के घाट उतारा गया।