Sawan 2020:सावन मे भगवान् शिव की अर्चना करना बहुत ही शुभ
Sawan 2020: सावन मास का आज बेहद ही पवित्र दिन है । आज सावन की शिवरात्रि के साथ आज पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि भी है। ऐसी मान्यता है की सावन मास में ज्योतिर्लिंग के नाम सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सावन(sawan) मे भगवान् शिव की अर्चना(puja),व्रत(vrat)करना बहुत ही शुभ माना गया है।
आइए जानते हैं भगवान शिव के नौवें ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ के बारे में-

Baba Baidyanath Temple: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का नौवां ज्योतिर्लिंग है|यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर नामक स्थान पर स्थित है| यह एक प्रमुख धार्मिक स्थान है|यहां शिवरात्रि और सावन के सोमवार में बाबा वैद्यनाथ के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है|भगवान शिव का यह एक सिद्ध मंदिर है जहां पर दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|
लोगों में इस ज्योतिर्लिंग को बहुत आस्था है|जिस कारण इसे वैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है| जिस स्थान पर वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित हैं उस स्थान को देवघर कहा जाता है| जिस का अर्थ है देवताओं का घर| इस ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है|
Sawan 2020:वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, ब्रह्मा और विष्णु ने की थी पूजा
ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने अन्य देवताओं के साथ इस स्थान पर आकर शिवलिंग की पूजा की| शिवजी का दर्शन होने के बाद देवताओं ने शिवलिंग की इसी स्थान पर स्थापना कर दी| यहां पर सावन के महीने में विशेष पूजा होती है|यहां पंचशूल पांच त्रिशूल को स्पर्श करने को बहुत ही शुभ माना जाता है|
इस ज्योतिर्लिंग को लंका ले जाना चाहता था,रावण
एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने हिमालय पर भगवान शिव(shiva) को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की| रावण ने अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिए|नवां सिर चढ़ाने के बाद जैसे ही रावण दसवां सिर काटने के लिए तैयार हुआ भगवान शिव ने दर्शन दिए और कहा वे साधना से प्रसन्न हैं|तब शिवजी ने रावण से वरदान मांगने के लिए कहा|रावण शिव जी से कहा वे शिवलिंग को लंका ले जाकर स्थापित करना चाहता है| भगवान शिव ने उसकी इच्छा पूरी की लेकिन रावण को एक चेतावनी भी दी और कहा कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर कहीं भी रख दिया तो यह वहीं स्थापित हो जाएगा|
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शिवलिंग को लेकर लंका के लिए निकल पड़ा
रावण भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर उस शिवलिंग को लेकर लंका के लिए निकल पड़ा|लेकिन रास्ते में उसे प्यास आदि लगी तो उसने रास्ते में एक बैजनाथ नाम के व्यक्ति को शिवलिंग कुछ देर थामे रहने के लिए दिया|रावण निवृत्त होने के लिए चला गया|शिवलिंग भारी होने के कारण बैजनाथ ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया|भूमि पर रखते ही शिवलिंग जड़ हो गए| रावण लौटकर आया तो तनाव में आ गया|रावण ने बहुत कोशिश की लेकिन शिवलिंग को हिला भी नहीं सका| अंत में रावण निराश होकर शिवलिंग पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका के लिए प्रस्थान कर गया|