Khaskhabar/राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मंगलवार को आरक्षण पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संघ आरक्षण का प्रबल समर्थक है और समाज का एक विशेष वर्ग असमानता का अनुभव करता है, तब तक इसे जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास पिछड़े और दलितों के इतिहास के बगैर अधूरा है। वे सामाजिक परिवर्तन में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने आरक्षण को सकारात्मक कार्रवाई का जरिया भी बताया।

समाज के एक वर्ग विशेष को असमानता का अनुभव होता है
संघ के सरकार्यवाह ने भारत के लिए आरक्षण को एक ‘ऐतिहासिक जरूरत’ बताया और कहा कि यह तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक समाज के एक वर्ग विशेष को असमानता का अनुभव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण और समन्वय (समाज के सभी वर्गो के बीच) साथ-साथ चलना चाहिए। होसबाले ने यह भी कहा कि सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करने वाली विभूतियों को ‘दलित नेता’ कहना अनुचित होगा, क्योंकि वे पूरे समाज के नेता थे।
आरक्षण की बात करते हुए होसबाले ने दो-टूक कहा
‘मेकर्स आफ मार्डन दलित हिस्ट्री’ शीर्षक वाली एक पुस्तक के विमोचन के लिए इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में होसबाले ने यह बात कही। आरक्षण की बात करते हुए होसबाले ने दो-टूक कहा कि वह और उनका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘ के पुरजोर समर्थक हैं। सौहार्द और सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक रणनीतियां नहीं हैं। ये दोनों हमारे लिए आस्था की वस्तु हैं।’
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कई परिसरों में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन
उन्होंने ने कहा, ‘जब हम समाज के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गो के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं तो निश्चित रूप से जैसे कुछ पहलू सामने आते हैं। मेरा संगठन और मैं दशकों से आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं। जब कई परिसरों में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे, तब हमने पटना में आरक्षण के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया और एक संगोष्ठी आयोजित की थी।