पठानों के शहर के नाम से मशहूर पेशावर की पुलिस लाइन्स की मस्जिद में सोमवार को हुए ब्लास्ट में 70 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा घायल हैं।एक चश्मदीद और IG शहर गुलाम रसूल के मुताबिक, यह फिदायीन हमला था। खैबर पख्तूख्वा राज्य के इस शहर में इस तरह के हमले होते रहे हैं। 2014 में यहां आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने अटैक किया था।
सोमवार को हुए हमले की जिम्मेदारी भी TTP ने ली
141 बच्चों समेत कुल 148 लोग मारे गए थे। सोमवार को हुए हमले की जिम्मेदारी भी TTP ने ली है।इस हमले के बाद कई सवाल उठते हैं। मसलन, रेड जोन वाले इलाके तक फिदायीन पहुंचा कैसे? साजिश में उसका मददगार कौन था? पूर्व PM इमरान खान पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? और आखिर TTP इतना ताकतवर कैसे हो गया।
पेशावर हमले के बाद एक PPP सांसद ने कहा-
सोमवार को पेशावर हमले के बाद एक PPP सांसद ने कहा- इमरान के अस्पताल (शौकत खानम) में तालिबान दहशतगर्दों का इलाज होता है। उन्हें फंड्स भी दिए जाते हैं। इमरान खान सत्ता में वापसी की खातिर इस मुल्क को आग के दरिया में धकेल रहे हैं।
लूचिस्तान के विद्रोही भी TTP से हाथ मिला चुके
इमरान ने खुद माना था कि वो TTP के हजारों आतंकियों को आम नागरिकों के तौर पर अलग-अलग राज्यों में बसाना चाहते थे, लेकिन ये सूबे इस प्लान पर रजामंद नहीं हुए। पाकिस्तानी फौज और सरकार की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अब बलूचिस्तान के विद्रोही भी TTP से हाथ मिला चुके हैं। कुल मिलाकर पाकिस्तान के लिए ये बेहद खतरनाक संकेत हैं।
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पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर यानी डूरंड लाइन को भी नहीं मानते
दूसरी तरफ, अफगान तालिबान TTP को पूरी तरह सपोर्ट कर रहे हैं। अफगान तालिबान तो पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर यानी डूरंड लाइन को भी नहीं मानते। इस विवाद की वजह से पिछले दिनों काफी फायरिंग भी हुई थी। इसमें पाकिस्तान के कई सैनिक और आम नागरिक मारे गए थे।
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