Khaskhabar/पाकिस्तान की खस्ताहाल होती आर्थिक स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। पाकिस्तान पर जितना कर्ज है उसको चुकाने के लिए भी उसे कभी किसी से तो कभी किसी से कर्ज लेना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने पहले चीने से इसके लिए कर्ज लिया था और अब सऊदी अरब के बैंक से वो 4.5 अरब डॉलर का कर्ज ले रहा है।

पाकिस्तान के लगातार विदेशों से कर्ज लेने पर पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर अपना दबाव बना रही है। इन पार्टियों ने सुस्ती और कुप्रबंधन के लिए इमरान खान को दोषी ठहराया है।
सरकार ने उस वक्त फ्यूरेंस ऑयल की नहीं की खरीद
इन पार्टियों का कहना है कि सरकार ने उस वक्त फ्यूरेंस ऑयल की खरीद नहीं की जब इसकी सबसे अधिक जरूरत थी।इसको लेकर सऊदी अरब के इस्लामिक डेवलेपमेंट बैंक से उसका करार हुआ है। इस पैसे से अगले तीन वर्षों में पाकिस्तान क्रूड ऑयल, रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडेक्ट्स, एलएनजी और इंडस्ट्रियल केमिकल यूरिया की रकम अदायगी करेगा।
देश में 40 फीसद बच्चों को र्प्याप्त पोषण नहीं
आपको बता दें कि पाकिस्तान के लोगों को लगातार बिजली की कमी से जूझना पड़ रहा है। देश में जरूरी चीजों की कीमतें आसमान को छू रही हैं। इसकी वजह से देश में हाहाकार जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। कुछ समय पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ने खुद कहा था कि देश में 40 फीसद बच्चों को र्प्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है।
बिजली उत्पादन में भी आ रही कमी
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बांध में इतना भी पानी नहीं बचा है कि यहां का टरबाइन को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा सके। शुक्रवार को हालात बेहद खराब हो गए थे। देश में लगातार बिजली उत्पादन में भी कमी आ रही है। इसकी वजह मंग्ला और तर्बला हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध में आई पानी की कमी बताई जा रही है। गौरतलब है कि पाकिस्तान अपने जलाशयों से करीब 7320 मेगावाट की बिजली पैदा करता है।
यह भी पढ़े —मूल्यांकन को अधिक ‘विश्वसनीय’ और ‘वैध’ बनाने हेतु दो भागों में बांटा गया सीबीएसई का शैक्षणिक सेशन
पाकिस्तान लगातार पानी की कमी से जूझ रहा
आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान लगातार पानी की कमी से जूझ रहा है। इसकी वजह से सरकार को कई जगहों पर पानी की सप्लाई को रोकना पड़ा या कम करना पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक कई प्रांतों को दस फीसद की कमी से पानी की सप्लाई की गई है। हालात खराब होने के मद्देनजर इसमें आगे और कमी की जा सकती है। पानी की कमी की वजह से गन्ना और कपास किसानों को सबसे बुरे हालातों का सामना करना पड़ रहा है।