Khaskhabar/अफगानिस्तान पर कब्जे की कोशिश कर रहे तालिबान को पाकिस्तान की इमरान खान सरकार खुलेआम मदद दे रही है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में पाकिस्तानी तालिबान में शामिल हो रहे हैं। यही नहीं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (Inter-Services Intelligence, ISI) कई वर्षों से आतंकियों को अफगानिस्तान में भारत निर्मित संपत्तियों को निशाना बनाने का निर्देश दे रही है।

डेलाराम और जरांज सलमा बांध के बीच 218 किलोमीटर लंबी सड़क
भारत सरकार ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए तीन अरब डालर से अधिक का निवेश किया है। इसमें डेलाराम और जरांज सलमा बांध के बीच 218 किलोमीटर लंबी सड़क, अफगान संसद भवन अफगान लोगों के लिए भारतीय योगदान के सबसे बड़े प्रतीक हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ तालिबान का खुलकर समर्थन करने के लिए 10 हजार से अधिक पाकिस्तानी शामिल हुए हैं।
दुर्भायपूर्ण है कि तालिबान आतंकी इस्लामाबाद की ओर से अपने ही लोगों का खून बहा रहे
संपादकीय में कहा गया है कि यह बेशर्मी और दुश्मनी की चरम सीमा है जिसे पाकिस्तानी सेना और इमरान सरकार प्रदर्शित कर रही है। यह स्पष्ट रूप से साबित हो गया है कि पाकिस्तान तालिबान का गॉडफादर है। यह पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में शुरू किया गया एक छद्म युद्ध है। यह दुर्भायपूर्ण है कि तालिबान आतंकी इस्लामाबाद की ओर से अपने ही लोगों का खून बहा रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि ऐसे अफगानिस्तान की सरकार को पाकिस्तान को बेनकाब करना चाहिए.
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हमले के खिलाफ अफगान वायु सेना को चेतावनी दी
वहीं अफगानिस्तान टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि पाकिस्तानी सेना नहीं चाहती कि अफगान लोग अपने मुल्क के दुश्मनों से लड़ें। अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान ने बेशर्मी की हद करते हुए स्पिन बोल्डक सीमावर्ती जिले में तालिबान लड़ाकों पर किसी भी हमले के खिलाफ अफगान वायु सेना को चेतावनी दी है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि अफगान लोगों को पड़ोसी देश से इस तरह के शत्रुतापूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।