NASA ALERT-साल 2020 में अंतरिक्ष में भी हलचल मची हुई है। जिसके चलते नासा (नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) लगातार तथ्य और चेतावनी जारी कर रहा है।ये साल (2020) ना केवल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण बल्कि अन्य कई परेशानियों के कारण भी मुश्किल भरा बीत रहा है। दुनियाभर में इस दौरान बहुत सी परेशान कर देने वाली घटना घट रही हैं।

आउटर स्पेस में भी बहुत सी अजीबोगरीब घटनाएं घट रही हैं। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पड़ने के अलावा भी अंतरिक्ष में अजीबोगरीब स्थितियों की जानकारी मिल रही हैं।
जानिये नासा ने क्या कहा
NASA ALERT-नासा ने दुनिया को खतरनाक और विशाल उल्कापिंड को लेकर चेतावनी जारी की है। जिसमें एजेंसी ने कहा है कि एक बहुत बड़ा उल्कापिंड काफी तेज गति से पृथ्वी की ओर आ रहा है। ये बड़ा उल्कापिंड फेमस लंदन आई से भी बड़ा है। यूके के लैंडमार्क लंदन आई की लंबाई 443 फीट है और ये उल्कापिंड उससे भी 50 फीसदी बड़ा है।

उल्कापिंड कुछ दिनों में ही धरती के पास से गुजरेगा। अमेरिकन अंतरिक्ष विशेषज्ञ ने अंतरिक्ष से आने वाले इस उल्कापिंड का नाम ‘उल्कापिंड 2020 एनडी’ रखा है। जिसे संभावित खतरा बताया गया है। कहा गया है कि 24 जुलाई को एक बड़ा 170 मीटर लंबा पत्थर हमारी पृथ्वी की ओर 0.034 AU (Astronomical unit) की रेंज के अंदर तक आएगा।
आश्चर्यजनक गति से आ रहा उल्कापिंड
आश्चर्यजनक गति से आ रहा उल्कापिंड एक एयू (149,599,000 किमी) सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी है। यह उम्मीद की जा रही है कि शनिवार तक विशाल उल्कापिंड जो 13.5 किलोमीटर प्रति सेकंड या 48,000 किलोमीटर प्रति घंटे की आश्चर्यजनक गति से आ रहा है, यह हमारी पृथ्वी से 5,086,328 किलोमीटर दूर होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के पास से अक्सर ऐसे उल्कापिंड गुजरते हैं। कुछ उल्कापिंडों का आकार छोटा होता है, तो वहीं कुछ उल्कापिंडों का आकार बड़ा होता है। लेकिन इस तरह के बड़े उल्कापिंड कभी कभार ही आते हैं।
पृथ्वी के लिए हो सकता है खतरनाक
पृथ्वी के लिए हो सकता है खतरनाक जानकारी के लिए बता दें ऐसा कहा जाता है कि उल्कापिंडों के रास्ता बदलने की संभावना काफी कम ही रहती है। लेकिन अगर वह थोड़ा सा भी रास्ता बदलता है या फिर पृथ्वी की ग्रेविटी उसे आकर्षित करती है, तो ये दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। यही वजह है कि नासा ने लंदन आई से भी 50 फीसदी बड़े इस उल्कापिंड को लेकर चेतावनी जारी की है। इस तरह की घटनाओं पर दुनियाभर के वैज्ञानिक भी नजर बनाए रखते हैं