Khaskhabar/अफगानिस्तान के हालात ने भारत के लिए जिस तरह की कूटनीतिक चुनौतियां पैदा की हैं, उससे निपटने में सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दल से लेकर यहां विदेश मंत्रालय का हर विभाग हालात को संभालने और भारतीय हितों की रक्षा सुनिश्चित करने में जुटा है। प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस मामले में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा है।

केंद्र में रहे और दोनों नेता इस पर आगे भी वार्ता जारी रखेंगे
इस दौरान अफगानिस्तान के हालात ही केंद्र में रहे और दोनों नेता इस पर आगे भी वार्ता जारी रखेंगे।पुतिन के साथ वार्ता के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर जानकारी दी और लिखा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से काफी विस्तार से और उपयोगी बातचीत हुई है। हमने दूसरे द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात की और आगे भी संवाद जारी रखने का फैसला किया है।
मोदी स्वयं लगातार हालात की समीक्षा कर रहे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं लगातार हालात की समीक्षा कर रहे हैं और वैश्विक नेताओं के संपर्क में हैं। एक दिन पहले उन्होंने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से बात की और मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ 45 मिनट लंबा विमर्श किया।खास तौर पर जिस तरह आतंकवाद फैलने और मादक पदार्थो के आवागमन का खतरा बढ़ा है उस पर स्थायी चैनल होने की वजह से बात करना और सहयोग करना आसान होगा।
मौजूदा हालात में भारत और रूस का लगातार संपर्क में रहना आवश्यक
दोनों देशों की तरफ से बाद में बताया गया कि अफगानिस्तान के हालात पर लगातार विमर्श करने के लिए एक स्थायी चैनल बनाने का फैसला किया गया है। मोदी और पुतिन ने तेजी से बदलते अफगानिस्तान के हालात और इसकी वजह से क्षेत्रीय सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौती को लेकर खास तौर पर चर्चा की।दोनों नेताओं का मानना है कि मौजूदा हालात में भारत और रूस का लगातार संपर्क में रहना आवश्यक है।
तालिबान की वापसी में परोक्ष तौर पर मदद पहुंचाई
रूस ने चीन के साथ मिलकर तालिबान की वापसी में परोक्ष तौर पर मदद पहुंचाई है। वैसे रूस तालिबान के आतंकी रुख से ¨चतित भी है, लेकिन फिलहाल वह चीन के साथ भी लगातार संपर्क में है ताकि तालिबान की सत्ता वाले अफगानिस्तान की भावी स्थिति में उसका भी योगदान हो।
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भारत में भी शीर्षस्तरीय बैठक होने की संभावना
मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों और कोरोना महामारी को लेकर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच इस साल के अंत तक भारत में भी शीर्षस्तरीय बैठक होने की संभावना है।भारत और रूस के प्रमुखों की यह वार्ता इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां रूस की अहमियत बढ़ने की संभावना है।