Khaskhabar/केंद्र सरकार ने धान पर अधिकतम समर्थन मूल्य (MSP) में 72 रुपये प्रति क्विटंल का इजाफा किया है। इससे वित्त वर्ष 2021-22 के लिए धान की MSP बढ़कर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इससे पिछले वित्त वर्ष में धान की MSP 1,868 रुपये प्रति क्विंटल पर थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अधिकतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई अन्य फैसले भी किए गए।कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया जा रहा है और भविष्य में भी ऐसा किया जाएगा।
नई दरों के बाद धान (Paddy) की खरीद का मूल्य प्रति क्विंटल 1940 रुपए
केंद्र के तीन कृषि बिलों के खिलाफ जारी किसान प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) ने आज बुधवार को महत्वपूर्ण घोषणा की.2021-22 के लिए घोषित नई दरों के बाद धान (Paddy) की खरीद का मूल्य प्रति क्विंटल 1940 रुपए हो गया है.
MSP की नई दरें घोषित करने का निर्णय हुआ
उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में खरीफ की फसलों (Kharif Crop) पर MSP की नई दरें घोषित करने का निर्णय हुआ है. इसमें धान जो सामान्य स्तर का है उसका भाव 1868 रुपए प्रति क्विंटल था, 2021-22 में ये 1940 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है. कृषि मंत्री ने कहा कि बाजरा जो 2020-21 में 2150 रुपए प्रति क्विंटल था, वो अब 2250 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है. इसके अलावा उड़द जैसी दालों की कीमतों में 300 रुपए की बढ़ोतरी के साथ 6,300 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है.
पश्चिम बंगाल को मॉडल स्टेट के रूप में काम करना चाहिए
इसी बीच किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कृषि और स्थानीय किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Bengal CM Mamata banerjee) से मुलाकात की. मुलाकात के बाद टिकैत ने कहा कि हमें मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वह किसान आंदोलन का समर्थन जैसी करती थी वैसे ही करती रहेंगी. इसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं. पश्चिम बंगाल को मॉडल स्टेट के रूप में काम करना चाहिए और यहां के किसानों को अधिक लाभ मिले हम यही चाहते हैं.
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500 से ज्यादा किसान साथी शहीद हो चुके
इससे पहले प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन का विरोध किया था. किसानों ने कहा कि पीएम ने अपने संदेश में कहीं भी तीनों कृषि कानूनों और देश में चल रहे किसान आंदोलन का जिक्र तक नहीं किया. एसकेएम के नेताओं ने कहा कि आंदोलन में अब 500 से ज्यादा किसान साथी शहीद हो चुके हैं. जहां एक तरफ देश का किसान बाजार में मिल रही कम कीमतों के कारण भारी नुकसान उठा रहा है, तो वहीं सरकार सिर्फ और सिर्फ अपने अहंकार के कारण इस आंदोलन को इतना लंबा खींच रही है.
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