Khaskhabar/आज के दौर में ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब जैसी तमाम सोशल साइट्स भारत के करोड़ों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं. लेकिन मंगलवार से ये सभी सोशल मीडिया साइट्स बंद हो जाएंगी. देश में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है. तो आखिर ये चर्चा क्यों हो रही है?

फेसबुक का मंगलवार को जारी यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया कंपनियों को डिजिटल मंचों के लिए नए दिशानिर्देशों को पूरा करना है. इसकी समयसीमा 25 मई ही है. नए नियमों की घोषणा फरवरी में की गई थी. इनके तहत सोशल मीडिया मंचों मसलन ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हॉट्सएप को अतिरिक्त जांच-परख को पूरा करना होगा. साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों को मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल संपर्क कर्मी तथा निवासी शिकायत निपटान अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी.
निरंकुश हो रहा सोशल मीडिया?
देश में कई वर्ग आरोप लगा रहे हैं कि सोशल मीडिया निरंकुश हो रही है. इसके बाद सरकार ने सेाशल मीडिया कंपनियों को शिकायत और निगरानी के लिए भारत में अफसरों की नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. लेकिन भारतीय सोशल मीडिया कंपनी कू को छोड़कर किसी भी सोशल मीडिया कंपनी ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया.
सरकार की ओर से 25 फरवरी को 2021 को दिए गए निर्देशों की डेडलाइन आज ख़त्म हो रही है. इसके बाद ये माना जा रहा है कि सरकार इन सोशल मीडिया कंपनियों पर कार्रवाई कर सकती है.
OTT प्लैटफॉर्म की आड़ में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर वार?
सरकार ने 25 फरवरी को सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कड़े नियमनों की घोषणा की थी. इसके तहत कंपनियों को किसी भी सामग्री पर प्राधिकरण की ओर से चिंता जताए जाने पर उसे 36 घंटे में हटाना होगा. साथ ही एक मजबूत शिकायत निपटान प्रणाली स्थापित करनी होगी. शिकायत निपटान अधिकारी देश में ही बैठेगा.
सरकार ने दिए थे निर्देश
ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों को सरकार ने गाइडलाइन बनाने के लिए 3 महीने का वक्त दिया था, जिसकी मियाद आज खत्म हो रही है. अब तक भारतीय कंपनी कू को छोड़कर किसी भी कंपनी ने सरकार को जवाब नहीं दिया है.
इन नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में अपना ऑफिसर और कॉन्टेक्ट ऐड्रेस देने होंगे. साथ ही कंपलायंस अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत-समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाने जैसे नियम इसमें शामिल हैं.
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क्या हो सकता है एक्शन?
सूत्रों के मुताबिक अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स नियमों का पालन नहीं करते हैं, यानी गाइडलाइन नहीं बनाते हैं तो इन्हें दी गईं कई सुविधाएं सरकार खत्म कर सकती है. इसमें सबसे बड़ी सुविधा सोशल मीडिया कंपनियों की कोर्ट में पार्टी नहीं बनाने की थी जो अब खत्म हो सकती है. यानी इन कंपनियों को कोर्ट में पार्टी बनाया जा सकता है.
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