Khaskhabar/भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधार्थियों ने पॉलीकॉटन फैब्रिक तैयार किया है, जो संक्रमण को अपने आप नष्ट करेगा। इससे बने मास्क व पीपीई किट सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने पर संक्रमण मुक्त हो जाएंगे। बिना धोए या फेंके इनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा। मास्क वायरस के 120 नैनोमीटर आकार के 96 प्रतिशत कणों को रोकने में सक्षम होगा। आइआइटी मंडी के विज्ञानी डा. अमित जायसवाल व शोधार्थियों प्रवीण कुमार, शौनक रॉय और अंकिता सरकार की टीम ने इसे तैयार किया है।

डा. अमित जायसवाल बताते हैं कि फैब्रिक में नैनोमीटर आकार की मोलिब्डेनम सल्फाइड शीट, एमओएस-2 को मिलाया है। इनके धारदार किनारे बैक्टीरिया को मार देते हैं। नैनोनाइफ मोडिफाइड फैब्रिक बैक्टीरिया के खिलाफ असरदार है। 60 बार धुलने के बाद भी इसमें बैक्टीरिया को नष्ट करने के गुण रहते हैं।
पांच मिनट के अंदर सभी एमओएस-2 मोडिफाइड फैब्रिक 100 प्रतिशत ई कोलाई और एसऑरियस को नष्ट करने में कारगर
मोलिब्डेनम सल्फाइड के नैनोशीट््स माइक्रोबियल मेंब्रेन को नष्ट करने के अतिरिक्त सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने पर यह उसे ताप में बदल देते हैं जो बैक्टीरिया को मारता है। पांच मिनट के अंदर सभी एमओएस-2 मोडिफाइड फैब्रिक 100 प्रतिशत ई कोलाई और एसऑरियस को नष्ट करने में कारगर साबित हुए हैं। शोधकर्ताओं ने एमओएस-2 मोडिफाइड फैब्रिक से चार लेयर के फेस मास्क के प्रोटोटाइप बनाए हैं।
मास्क व पीपीई फेंकने में लापरवाही से फैलने वाले संक्रमण को भी रोका जा सकेगा
डा. अमित जायसवाल के मुताबिक इससे मास्क व पीपीई फेंकने में लापरवाही से फैलने वाले संक्रमण को भी रोका जा सकेगा। मास्क में जरूरी है कि यह एंटी माइक्रोबियल की तरह बैक्टीरिया या वायरस को फैलने से रोके या मारने का भी कार्य करे, खासकर दोबारा इस्तेमाल किए जाने पर। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मास्क के कपड़े को रोगाणु रोधी कोटिंग दी। इसके लिए मनुष्य के बाल की चौड़ाई से सौ हजार गुणा बारीक सामग्रियों का उपयोग कर पॉलीकॉटन फैब्रिक को रोगाणु रोधी गुण प्रदान किए हैं।
साठ बार धोने के बाद भी उत्कृष्ट जीवाणु रोधी क्षमता रहेगी
शोध में पाया है कि इस फैब्रिक से बनी पीपीई किट और मास्क को साठ बार धोने के बाद भी उत्कृष्ट जीवाणु रोधी क्षमता रहेगी। शोध के परिणाम हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित जर्नल-एप्लाइड मैटीरियल्स एंड इंटरफेसेज में प्रकाशित हो चुका है। सामग्री का विकास स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित जायसवाल के सानिध्य में शोधार्थी प्रवीण कुमार, शौनक रॉय और अंकिता सकरकर ने किया है। शोध ऐसे समय में किया गया है जब देश में कोविड 19 महामारी की दूसरी लहर रोकने के लिए ऐसी तकनीकों का विकास करना अनिवार्य हो गया है।
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यह है तकनीक
फैब्रिक में मोलिब्डेनम सल्फाइड, एमओएस2 के नैनोमीटर आकार की शीट शामिल की गई है। इनके धारदार किनारे और कोने चाकू की तरह बैक्टीरिया और वायरल झिल्ली को छेद कर उन्हें मार देते हैं। नैनोनाइफ-मोडिफाइड फैब्रिक में 60 बार तक धुलने के बाद भी उत्कृष्ट जीवाणु रोधी गतिविधि देखी गई। पीपीई किट और मास्क फेंकने में लापरवाही से संक्रमण फैलने का खतरा है परंतु बार-बार उपयोगी रोगाणुरोधी मैटीरियल इस जोखिम को कम करेंगे।
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