Khaskhabar/मोदी सरकार ने बजट घोषणा के दौरान सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की, जिसे लेकर काफी विरोध हो रहा है। सरकार विरोध के बावजूद इन बैंकों की निजीकरण की तैयारी में जुट गई है। उच्च अधिकारी बैंकों के निजीकरण का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। बैंक प्राइवेटाइजेशन के लिए बैठकों का दौर जारी है।

इन दो बैंकों का निजीकरण
सरकार ने बैंकों के निजीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। पहली प्रक्रिया में कम से कम दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला लिया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए संभावित बैंकों को शॉर्टलिस्ट करन के लिए 14 अप्रैल को वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों, नीति आयोग और भारतीय रिजर्व के बीच अहम बैठक हुई है, जिसमें बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए हैं।
कौन-कौन से बैंक शामिल
आपको बता दें कि सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा बजट के दौरान की थी। वहीं बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग की ओर से 4 बैंकों के नाम का सुझाव दिया गया है। इन चार नामों में से दो नामों को शॉर्टलिस्ट किया जाना है, जिन्हें सरकार निजी हाथों में सौंप सकती है। नीति आयोग की ओर से बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया , सेंट्रल बैंक के नाम दिए गए, जिनमें से दो नामों को चिन्हित किया जाना है।

इन दो बैंकों का हो सकता है निजीकरण
मान जा रहा है कि बैंकों के निजीकरण के पहल चरण में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक का प्राइवेटाइजेशन कर सकती है। आपको बता दें कि वर्तमान में देश में 12 सरकारी बैंक है। सरकार ने बैंकों के बढ़ते एनपीए को देखते हुए उनके निजीकरण का फैसला लिया है।
कैबिनेट में जल्द हो सकता है फैसला
मनी9 हिंदी को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. IDBI Bank में सरकारी हिस्सा बेचने की तैयारी पूरी हो गई है. बजट में निर्मला सीतारमण ने वित्त-वर्ष 2021-22 में IDBI Bank में हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव रखा था.इसके बाद 10 मार्च को रिजर्व बैंक ने IDBI को प्रॉम्पट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क से बाहर कर दिया है. अब खबर है कि सरकार इस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है.कैबिनेट में IDBI बैंक में अपनी 45.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) विनिवेश के प्रोसेस को आगे बढ़ाएगा.सरकार IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने से पहले LIC से राय लेगी.
यह भी पढ़े –India Is Fighting To Avert Oxygen Shortage as oxygen scarcity increases During Covid-19 Crisis
विनिवेश के जरिेए सरकार की 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना
केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. बैंकों के निजीकरण के अलावा सरकार ने एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को भी अगले वित्त वर्ष में निजीकरण करने का फैसला लिया है. IDBI बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा. बैंक की सभी सर्विसेज बरकरार रहेंगी.
और ज्यादा खबरे पढ़ने और जाने के लिए ,अब आप हमे सोशल मीडिया पर भी फॉलो कर सकते है –
ट्विटर पर फॉलो करने के लिए टाइप करे –@khas_khabarएवं न्यूज़ पढ़ने के लिए#khas_khabarफेसबुक पर फॉलो करने के लाइव आप हमारे पेज@socialkhabarliveको फॉलो कर सकते है|