Khaskhabar/रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने बुधवार को 13,165 करोड़ रुपये के सैन्य प्लेटफार्मों और साजो सामान की खरीद को मंजूरी दी। इसमें 25 स्वदेशी रूप से विकसित एएलएच मार्क-III हेलीकाप्टरों की खरीद भी शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने सैन्य प्लेटफार्मों बताया कि हेलीकाप्टरों की खरीद पर 3,850 करोड़ रुपये आंकी गई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक राकेट गोला बारूद की खरीद पर 4,962 करोड़ रुपये का खर्च होगा।

‘बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग’ के एक हिस्से के रूप में कुछ संशोधनों को भी मंजूरी
मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि अनुमोदित कुल राशि में से 11,486 करोड़ रुपये की खरीद घरेलू कंपनियों से होगी। इसके अलावा रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में ‘बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग’ के एक हिस्से के रूप में कुछ संशोधनों को भी मंजूरी दी ताकि रक्षा उद्योग क्षेत्र को व्यापार करने में सहूलियत हो। साथ ही खरीद दक्षता बढ़ाने और समयसीमा को कम करने के उपाय भी किए जा सकें।
13,165 करोड़ रुपये के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए जरूरी मंजूरी प्रदान की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council, DAC) की बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कुल खरीद में से 11,486 करोड़ रुपये के उपकरण और प्लेटफार्म घरेलू कंपनियों से प्राप्त किए जाएंगे। डीएसी ने भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और परिचालन संबंधी जरूरतों के लिए लगभग 13,165 करोड़ रुपये के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए जरूरी मंजूरी प्रदान की।
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भारत और चीन की ओर से 50 से 60 हजार जवानों की तैनाती
रक्षा उपकरणों की इस खरीद को ऐसे समय मंजूरी दी गई है जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में रक्षा सूत्रों ने बताया था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे अपने इलाकों में चीन स्थाई सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एलएसी पर अभी भी भारत और चीन की ओर से 50 से 60 हजार जवानों की तैनाती बरकरार है।