Covaccine trial on 18-year-old children like massacre, demand for immediate stop, petition filed in Delhi High Court
Health

18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल नरसंहार जैसा, तुरंत रोक की मांग,दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर

Khaskhabar/2 से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि कोविड वैक्सीन का इस आयुवर्ग पर ट्रायल नरसंहार के जैसा है और इसे तुरंत रोकना चाहिए।

Khaskhabar/2 से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि कोविड वैक्सीन का इस आयुवर्ग पर ट्रायल नरसंहार के जैसा है और इसे तुरंत रोकना
Posted by khaskhabar

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के बच्चों पर ट्रायल की मंजूरी दी थी। इसमें केंद्र और भारत बायोटेक को नोटिस भी भेजा जा चुका है। इसके बावजूद जून से ही बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल शुरू किए जा चुके हैं।याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने कहा कि यह एप्लीकेशन हाईकोर्ट के सामने है।

525 स्वस्थ वॉलंटियर्स पर होगा ट्रायल- स्वास्थ्य मंत्रालय

ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जाएगा। इस वैक्सीन का इस्तेमाल अभी देश में चल रही वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। इसके अलावा दूसरी वैक्सीन सीरम इंस्टिट्यूट की कोवीशील्ड है। जिसे वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।पहली डोज देने के 28 दिन बाद इन वॉलंटियर्स को दूसरी डोज दी जाएगी।स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि 525 स्वस्थ्य वॉलंटियर्स पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। उन्हें वैक्सीन की दो डोज दी जाएगी।

बच्चों को वॉलंटियर्स कहना गलत, वो नतीजे नहीं समझ सकते- याचिकाकर्ता

जिन बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है, उन्हें वॉलंटियर्स नहीं कहा जा सकता है। ये बच्चे इस ट्रायल के नतीजों को समझने की क्षमता नहीं रखते हैं। स्वस्थ बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल नरसंहार जैसा होगा। अगर किसी मासूम की जान इस ट्रायल में जाती है तो ट्रायल में शामिल लोगों और इसकी इजाजत देने वाले पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।’

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कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान याचिका पर स्टे नहीं दिया

संजीव ने कहा, “कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान याचिका पर स्टे नहीं दिया है। इसके बावजूद केंद्र ने ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। इसमें केंद्र कोर्ट से कह सकता है कि ट्रायल तो हो चुके। ऐसे में याचिका दाखिल करने का मकसद ही नहीं रह जाएगा। चिंता इस बात की है कि वैक्सीन का ट्रायल बच्चों पर किए जाने से उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उनकी मानसिक सेहत पर भी इसका असर पड़ सकता है।

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