Khaskhabar/मुंबई में बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 21 अगस्त से 28 अगस्त के बीच, मुंबई में 19 साल से कम उम्र के 274 बच्चे इस बीमारी से ग्रसित हुए, जो कुल मामलों का 10.78 प्रतिशत है। उनमें से 65 बच्चों की उम्र नौ साल से कम है। गौरतलब है कि ये ऐसा समय है जब तीसरी लहर की आशंका को लेकर विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं।

आंशिक रूप से लाकडाउन खोलने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है
अधिकारियों ने कहा कि इस स्थिति के लिए 18 वर्ष से अधिक के नागरिकों का सामूहिक टीकाकरण और पिछले कुछ महीनों में आंशिक रूप से लाकडाउन खोलने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हालांकि बच्चों के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। बता दें कि 28 अगस्त से पहले के सप्ताह में, मुंबई में 2,541 मामले दर्ज किए गए और जिनमें से दसवां हिस्सा बच्चे थे।
बच्चों में कोविड संक्रमण के मामले मार्च से बढ़ गए
इस महीने के पहले 20 दिनों में 508 बच्चे इस वायरस की चपेट में आये और शहर में कुल 8,041 मामलों में यह आंकड़ा 9.2 प्रतिशत था।बीते कुछ दिनों में भायखला के एक अनाथालय के 15 और मानखुर्द बाल गृह में 18 बच्चे कोरोना पाजिटिव पाये गए थे। अधिकारियों ने बताया कि बच्चों में कोविड संक्रमण के मामले मार्च से बढ़ गए हैं, जून में ये मामले 13 प्रतिशत को पार कर गए हैं। महामारी की शुरुआत के बाद से सभी मामलों की तुलना में बच्चों में औसत संक्रमण 6.5 प्रतिशत है।
शायद नागरिक निगमों द्वारा झुग्गी-झोपड़ियों में जागरूकता बढ़ाने और अभियान रहा
कुल 16,628 मामलों में से 2,210 मरीज 19 साल से कम उम्र के थे। अधिकारियों ने कहा कि जुलाई में, मामले थोड़े कम हुए थे, इसकी वजह शायद नागरिक निगमों द्वारा झुग्गी-झोपड़ियों में जागरूकता बढ़ाने और अभियान रहा होगा। हालांकि बच्चों में संक्रमण बढ़ गया है लेकिन अधिकांश संक्रमित स्पर्शोन्मुख या हल्के संक्रमण से प्रभावित हैं। इस वायरस ने मार्च से अब तक 13 बच्चों की जान ले ली है जो कुल मौतों के 1 फीसदी से भी कम है।
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पहली लहर में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग ज्यादा संक्रमित हुए
जनगणना के अनुसार, शहर की लगभग 29 प्रतिशत आबादी 19 वर्ष से कम उम्र की है और बच्चों में मार्च 2020 और फरवरी 2021 के बीच कुल मामलों में 5.6 प्रतिशत शामिल हैं। मई से, जैसे-जैसे वयस्कों में संक्रमण कम होने लगा, बच्चों में मामलों का अनुपात बढ़ने लगा।यद्यपि पहली लहर में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग ज्यादा संक्रमित हुए थे जबकि दूसरी लहर में कामकाजी वर्ग के अधिक लोग प्रभावित हुए जो 20 से 50 वर्ष के बीच आयु वर्ग के हैं। हालांकि बच्चों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा था।