Khaskhabar/अर्जेंटीना की सीनेट में गर्भपात को वैध बनाने वाला एक बिल पारित हो गया है। महिलाएं इस अधिकार के लिए दशकों से आंदोलन करती रही हैं। यहां अब तक सिर्फ दुष्कर्म और मां के जीवन पर खतरे के मामलों में ही गर्भपात को कानूनी रूप से अनुमति रही है। लेकिन अब देश में 14 सप्ताह तक स्वैच्छिक गर्भपात की अनुमति होगी। महिलाओं को गर्भपात का होगा अधिकार.
बदलेंगे रूढ़िवादी लैटिन अमेरिकी देश?
क्या आप जानते हैं कि दुनिया के आधुनिक कहे जाने देशों में ही महिलाओं के सबसे पुराने और मूल अधिकारों को रौंदा जा रहा है? आप हैरान होंगे कि कई देशों में महिलाओं को अबॉर्शन का अधिकार नहीं है.अबॉर्शन कराने वाली महिलाओं और उन लोगों को सज़ा दी जाती है जो गर्भपात करने में मदद करते हैं. चुकि वहां अबॉर्शन एक क्रिमिनल अपराध की श्रेणी में है, इसलिए महिलाओं को इसके लिए जेल तक की हवा भी खानी पड़ती है.
सीनेटरों ने गर्भपात को वैध बनाने के लिए कई घंटों तक बहस की
बुधवार तड़के वोटिंग से पहले अर्जेंटीना के सीनेटरों ने गर्भपात को वैध बनाने के लिए कई घंटों तक बहस की। वोटिंग से पहले सीनेट के बाहर, गर्भपात के समर्थक और विरोधी कार्यकर्ता एकत्र हुए। बिल के समर्थक हरे रंग का कपड़ा पहने हुए थे, जो उनके गर्भपात आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद अर्जेंटीना गर्भपात को वैध बनाने वाला सबसे बड़ा लैटिन अमेरिकी देश बन गया। लैटिन अमेरिका में सिर्फ उरुग्वे, क्यूबा, गुयाना, मैक्सिको सिटी में गर्भपात वैध है।
अर्जेंटीना की संसद में 12 घंटे के मैराथन सत्र के बाद गर्भपात को वैध बनाने वाले बिल के पक्ष में 38 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ में 29 वोट ही पड़े और एक सदस्य गैरहाजिर रहा। इस बिल को अर्जेंटीना के चैंबर ऑफ डेप्युटी द्वारा पहले अनुमोदित किया जा चुका है।
हर साल होते हैं लाखों अवैध गर्भपात
सरकार का कहना है कि करीब 4.4 करोड़ की आबादी वाले अर्जेंटीना में एक साल के भीतर 3.7 लाख से 5.2 लाख अवैध गर्भपात होते हैं। देश के भीतर गर्भपात के पुराने कानून का जबरदस्त विरोध हो रहा था। कोरोना महामारी को रोकने के उपायों के बावजूद, गर्भपात के समर्थक और विरोधी, दोनों ही ने संसद के सामने प्रदर्शन करते रहे हैं।
समर्थन मे रहे सरकार समर्थक वामपंथी
अर्जेंटीना में अब तक महिलाओं और उन लोगों को दंडित किया जाता था, जो उन्हें गर्भपात करने में मदद करते थे। केवल दुष्कर्म या मां के ऊपर खतरे में इसकी अनुमति थी। हालांकि कुछ प्रांतों में इनका भी सम्मान न करने के आरोप लगते रहे हैं। 2018 में यह बिल निचले सदन में पारित हो चुका था, लेकिन सीनेट ने इसे मंजूरी नहीं दी। इस बार वाम दल की केंद्र सरकार इसके समर्थन में रही और सीनेट ने इसे मंजूरी दे दी।
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हर अवांछित बच्चा ईश्वर का
अर्जेंटीनी मूल के पोप फ्रांसिस ने गर्भपात को वैध करने पर विरोध जताया था। सीनेट में बहस से पहले पोप ने ट्वीट कर कहा था, ईश्वर के बेटे ने भी ये बताने के लिए अवांछित ही जन्म लिया था कि हर अवांछित बच्चा ईश्वर का है।
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