भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विववाद के बीच भारत में चीनी कम्पनियो के दबदबे को लेकर चर्चा तेज होती चली जा रही है| चीन की कम्पनियो की लिए भारत एक विशाल बाजार की तरह है जहा वो अपने सस्ते माल के दम पर अपनी जैसे मजबूत कर चुकी है और उन्हें बाजार से बाहर कर पाना बेहद मुश्किल है और चीनी कम्पनियो इसके लिए भारत में निवेश भी कर रही है|

फिलाल सीमा विवाद को देखते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट कंपनी ने चीनी कम्पनियो के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए और चीनी कंपनी हुआवेई को भारत के 5G मार्केट में उतरने की संभावना बेहद कम नज़र आ रही है |
फिलाल देश में लोग चीनी सामान का बहहिस्कार कर रहे है और उनकी मांग है की सरकार इस काम में उनकी मदद कर सके लेकिन सरकार ये नहीं कर सकती क्योकि वो WTO (वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन) के नियम के साथ बंधी हुई है | प्रधानमंत्री ने जो कहा वो देश की जनता ने कभी ठीक से समझा ही नहीं उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की बात कही थी जिसमे हमारे देश के कम्पनिया इतनी मजबूत बन सके ताकि हमें चीन की कंपनियों पर आश्रित न रहना पड़े|
जनता चीन के सामान का बहिस्कार कर सकती है और ऐसा करने से हमारे देश की कम्पनियो को मदद मिलेगी उनका माल भले ही शुरुबात में मंहगा हो लेकिन एक बार उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी बिल्ड कर ली तो चीन की कंपनी भारत में कभी मोनोपॉली नहीं ले सकती|

चीन की किन कंपनियों की भारत में किस सेक्टर में कितनी हिस्सेदारी है और अगर उनको हटा दिया जाए तो उनका क्या विकल्प होगा?
स्मार्टफोन: भारत मेंस्मार्टफोन बाजार 2 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें 72 प्रतिशत हिस्सा चीन की कंपनियों के प्रोडक्ट का है।
विकल्प: इस मामले में भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। कारण कि चीन के ब्रांड हर प्राइस सेगमेंट में और आरएंडडी में काफी आगे हैं।
टेलीकॉम इक्विपमेंट:भारत में टेलीकॉम इक्विपमेंट का बाजार 12,000 करोड़ रुपए का है। इसमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है।
विकल्प: भारत इसे कर सकता है,लेकिन यह महंगा पड़ेगा। लेकिन अगर ये कंपनियां अमेरिका या यूरोपियन सप्लायर्स का विकल्प अपनाती है तो उन्हें वेंडर फाइनेंसिंग ऑप्शन का नुकसान हो सकता है।
टीवी:भारत में टेलीविजन का मार्केट 25,000 करोड़ रुपए का है। इसमें चीन की कंपनियों की स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी 42 से 45 प्रतिशत है। नॉन स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी 7-9 प्रतिशत है।
विकल्प: भारत कर सकता है,लेकिन यह काफी महंगा है। भारत की तुलना में चीन की स्मार्ट टीवी 20-45 प्रतिशत सस्ती है।
होम अप्लायंसेस:भारत में इस सेगमेंट का मार्केट साइज 50 हजार करोड़ रुपए है। इसमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी 10-12 प्रतिशत है।
विकल्प: भारत के लिए काफी आसान है। लेकिन चीन के बड़े ब्रांड काफी सस्ते में भारत में प्रवेश करते हैं तो यह नजारा बदल सकता है।
ऑटो कंपोनेंट:भारत में इस सेगमेंट का मार्केट साइज 57 अरब डॉलर का है। इसमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत है।
विकल्प: भारत के लिए मुश्किल है। आरएंडी पर काफी खर्च करना होगा|
सोलर पावर:भारत में इसका मार्केट साइज 37,916 मेगावाट का है। इसमें चीन की कंपनियों का हिस्सा 90 प्रतिशत है।
विकल्प: भारत के लिए यह एकदम मुश्किल है। घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग काफी कमजोर है।
इंटरनेट ऐप:भारत में इंटरनेट एप का मार्केट साइज 45 करोड़ स्मार्टफोन यूजर के रूप में है। 66 प्रतिशत लोग कम से कम एक चीनी ऐप का इस्तेमाल करते हैं।
विकल्प: आसान है। लेकिन यह तभी होगा, जब भारतीय यूजर्स टिक-टॉक का इस्तेमाल कर दें।
स्टील:भारत में स्टील का मार्केट साइज 108.5 एमटी का है। इसमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी 18-20 प्रतिशत है।
विकल्प: यह किया जा सकता है। पर इसमें कीमत चीन के ही जितना रखना होगा। लेकिन कुछ प्रोडक्ट पर यह संभव नहीं है।
फार्मा-एपीआई:भारत में फार्मा एपीआई का मार्केट साइज 2 अरब डॉलर का है। इसमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है।
विकल्प: बहुत मुश्किल है। अन्य सोर्स काफी महंगे होंगे। साथ ही रेगुलेटरी मुश्किलें जैसे एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन पालिसी भी हैं।
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