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स्वीडन में क्यों सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे,क्या है दंगे भड़कने का राज,जानिये

Khaskhabar/स्वीडन में भड़का दंगा, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे आए |दुनिया भर में शांति का देश कहे जाने वाले स्वीडन में कुरान जलाने पर दंगा भड़क उठा। जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में लोग दक्षिण स्वीडन के माल्मो शहर की सड़कों पर उतर गए और उन्होंने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सड़क के किनारे खड़ी कई कारों के टायर में आग लगा दी इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस पर भी पथराव किया।

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पुलिस ने कहा कि हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े सात ही कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया। पुलिस के मुताबिक माल्मो में कुरान की प्रति जलाई गई थी जिसके बाद ये दंगा हुआ।पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार को शाम ढलते ही अचानक करीब 300 लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। टायर जलाने से पूरे इलाके में धुआं फैल गया। पत्थरबाजी में कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आईं। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

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स्वीडिश अखबार आफटोनब्लेट की रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडन की राष्ट्रवादी पार्टी स्ट्रैम कुर्स के नेता रैसमस पालुदन को गुरुवार को माल्मों शहर में ‘नॉर्डिक देशों में इस्लामीकरण’ पर आयोजित एक सेमिनार में हिस्सा लेना था। लेकिन, स्थानीय प्रशासन ने कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रैसमस पालुदन को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जब उन्होंने शहर में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके एक दिन बाद शुक्रवार को उनके समर्थकों ने माल्मो के एक चौराहे पर कुरान की कुछ प्रतियां जलाईं थी।

नार्डिक देश में मुसलमानों पर विवाद क्यों

उत्तरी यूरोप के कुछ देशों के नार्डिक देश कहा जाता है। यह भूगोल का एक शब्द है, जिसमें डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड, आइसलैंड और ग्रीनलैंड शामिल हैं। इस देशों में आबादी बहुत कम है। हाल में दुनियाभर में जारी हिंसा के दौर में लाखों की संख्या में शरणार्थियों ने इन नार्डिक देशों का रूख किया है। जिसमें पोलैंड को छोड़कर शेष देशों ने बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी को शरण दी है। वहीं, वहां के स्थायी निवासियों का आरोप है कि इससे सामाजिक तानाबाना बिगड़ा है।

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कई बार मिल चुकी है सजा

जून में पालुदन को अपनी पार्टी के सोशल मीडिया चैनलों पर इस्लाम-विरोधी वीडियो पोस्ट करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। जिसके लिए उन्हें तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उन्होंने कानून का पालन करने से मना कर दिया था। 2019 में उन्हें नस्लवादी भाषण देने के लिए 14 दिन सशर्त कारावास की सजा सुनाई गई थी। जून में उन्हें नस्लवाद, मानहानि और खतरनाक ड्राइविंग सहित 14 मामलों में दोषी पाया गया। जिसके लिए उन्हें दो महीने की सजा सुनाई गई थी।

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