Khaskhabar/देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने जातिगत आरक्षण (Caste reservation) के मामले पर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोटा पॉलिसी का मतलब योग्यता को नकारना नहीं है. इसका मकसद मेधावी उम्मीदवारों को नौकरी के अवसरों से वंचित रखना नहीं है, भले ही वे आरक्षित श्रेणी से ताल्लुक रखते हों. न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को आरक्षण के फायदे को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया है.

सीटों को भरने के लिए योग्यता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
कोर्ट ने कहा कि सीटों को भरने के लिए योग्यता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और मेधावी छात्रों को इसमें वरीयता मिलनी चाहिए, चाहें उनकी जाति कुछ भी क्यों न हो. इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि ओपन कैटिगरी के पदों के लिए कंप्टीशन योग्यता के अनुसार मेरिट के आधार पर होना चाहिए. आरक्षण सार्वजनिक सेवाओं में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का तरीका है, इसे कठोर नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़े—पश्चिम बंगाल फतह की बीजेपी (BJP) की खास रणनीति तैयार, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद करेंगे 2 दिवसीय दौरा
अहम फैसला : न्यायमूर्ति भट्ट ने आरक्षण पर की यह टिप्पणी
न्यायमूर्ति भट्ट ने यह भी कहा कि ऐसा करने का नतीजा साम्प्रदायिक आरक्षण होगा जहां हर समाज का हर वर्ग अपने आरक्षण के दायरे के भीतर ही रह जाएगा। ऐसा करने से मेरिट की उपेक्षा होगा। इसलिए ओपन कैटेगरी सबके लिए खुली होनी चाहिए। सिर्फ मेरिट ही वह शर्त हो सकती है जिसके आधार पर उसे इसमें शामिल किया जा सकता है, भले ही किसी भी तरह का आरक्षण का लाभ उसके लिए उस वक्त उपलब्ध हो।
और ज्यादा खबरे पढ़ने और जाने के लिए ,अब आप हमे सोशल मीडिया पर भी फॉलो कर सकते है –
ट्विटर पर फॉलो करने के लिए टाइप करे – @khas_khabar एवं न्यूज़ पढ़ने के लिए #khas_khabar फेसबुक पर फॉलो करने के लाइव आप हमारे पेज @socialkhabarlive को फॉलो कर सकते है |