Khaskhabar/राजस्थान में अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान ने 809वें उर्स मुबारक मौके पर आवाम को संदेश देते हुए कहा कि देश से महंगी शादियों का चलन बंद होना चाहिए। समाज में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए शादियों में हो रही फिजूल खर्ची पर रोक लगनी चाहिए।

सूफियों एवं धर्म प्रमुखों की वार्षिक सभा
दरगाह दीवान आबेदीन आज दरगाह स्थित महफिलखाने के पीछे खानकाह शरीफ में देशभर की प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीनों, सूफियों एवं धर्म प्रमुखों की वार्षिक सभा में बोल रहे थे। उन्होंने देश के मौजूदा पारिवारिक हालातों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में जरुरत है कि बेटियों का सुखी जीवन और उनकी समाज में एक गरिमा बनी रहे और हमारी बेटियां भी विवाह (निकाह) के बाद समाज में सर उठाकर चल सके। इसके लिए महंगी एवं भव्य शादियों की सामाजिक क्रुति को दूर करना होगा।
देशभर के अन्य स्थानों से आए सज्जादगानों ने शिरकत की
उर्स समापन की पूर्व संध्या पर इस पारंपरिक आयोजन में गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, दिल्ली, हलकट्टा शरीफ आंध्रप्रदेश, अंबेटा शरीफ गुजरात, जयपुर दरबारे बारिया, भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल प्रदेश से गंगोह शरीफ दरबार साबिर पाक कलियर, दरगाह सूफी कलामुद्दीन चिश्ती नागौर, दिल्ली स्थित दरगाह हजरत निजामुद्दीन सहित देशभर के अन्य स्थानों से आए सज्जादगानों ने शिरकत की।
शादियों की इस सामाजिक कुरीति को दूर करने की जरूरत
खान ने कहा कि हमारी बेटियां भी विवाह (निकाह) के बाद समाज में सर उठा कर चल सकें, उसके लिए हमें महंगी और भव्य शादियों की इस सामाजिक कुरीति को दूर करने की जरूरत है।उन्होंने समाज के जिम्मेदार लोगों और धर्मगुरूओं से अपील की है कि वो विवाह (निकाह) को आसान और सस्ता एवं सादगी भरा बनाए जाने के लिए पहल करें और लोगो को इसके लिये जागरूक करें ।
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सामूहिक रूप से विवाह के भव्य प्रदर्शन के गलत तरीकों को सुधारना होगा
उन्होंने कहा कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलेयहीवसलम ने सबसे सरल जीवन जीया जो हमारे जीवन के लिए आदर्श है। हमें उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने सभा में मौजूद देश की प्रमुख दरगाहों के सज्जादगान एवं धर्म गुरुओं से अपील की कि हमें सामूहिक रूप से विवाह के भव्य प्रदर्शन के गलत तरीकों को सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि सूफीवाद ने बड़ी ही कोमलता और प्रेम से स्वयं को पूरे विश्व में स्थापित कर लिया और भारत में इसे लाने का श्रेय महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को जाता है।
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