khaskhabar/ वकील प्रशांत भूषण ने देश के सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट ने ये कार्यवाही की है | इस मामले पर आज तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है |सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी माना है|

भूषण के खिलाफ यह मामला उनके 2 विवादित ट्वीट से जुड़ा है.| एक ट्वीट में उन्होंने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था|दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी|
4 पूर्व CJI पर भी किया ट्वीट
जजों ने प्रशांत भूषण के एक और ट्वीट पर भी संज्ञान लिया था| 27 जून के इस ट्वीट में भूषण ने यह लिखा था कि पिछले कुछ सालों में देश में लोकतंत्र को तबाह कर दिया गया है| सुप्रीम कोर्ट के पिछले 4 चीफ जस्टिस की भी इसमें भूमिका रही है|“ सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि पहली नजर में भूषण के दोनों ट्वीट अवमाननापूर्ण लगते हैं| यह ट्वीट लोगों की निगाह में न्यायपालिका खासतौर पर चीफ जस्टिस के पद की गरिमा को गिराने वाले हैं|
कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब देने कहा
कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब देने कहा था. उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पेश हुए| उन्होंने दलील दी कि जजों की आलोचना को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं माना जा सकता| यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन होगा| दवे ने यह माना था कि मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर की गई टिप्पणी तथ्यों के बारे में पूरी जानकारी लिए बिना की गई थी|

लेकिन उनका कहना था कि यह आम आदमी के प्रति भूषण की चिंता को दिखाता है| इसका मकसद सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं था| 4 पूर्व चीफ जस्टिस पर की गई टिप्पणी के बारे में दवे की दलील थी कि उनके कार्यकाल में कई बार सुप्रीम कोर्ट में जनहित के मुद्दों पर उस तरह से कदम नहीं उठाए, जैसी उम्मीद की जाती है|
आज दिए आदेश में कोर्ट ने लिखा है :-
“30 साल से वकालत कर रहे शख्स से ऐसे ट्वीट्स की उम्मीद नहीं की जा सकती| उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दे कोर्ट में रखे हैं | लेकिन इन ट्वीटस को न्यायपालिका की स्वस्थ आलोचना नहीं समझा जा सकता| ये ट्वीट आम लोगों की नज़र में एक संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस के सम्मान को गिराने वाले है|न्यायापालिका पर उनके विश्वास को चोट पहुंचाने वाले है|”
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प्रशांत भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेकर किए गए ट्वीट्स के पीछे उनकी अपनी सोच है, जो भले ही किसी को अप्रिय लगे लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं है| प्रशांत भूषण की दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को निरस्त करे|
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